Monday, February 2, 2009

यह कैसी श्रध्दा.....?

आज नर्मदा जयंती थी .जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है जैसे यदि हम इसी तरह से आस्था का पाखंड किसी पागल की तरह बघारते रहे तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब हम माघ शुक्ल सप्तमी पर पतित पावनी चिर कुंवारी मणि जाने वाली माँ नर्मदा की बरसी मनाने लगेंगे.मेरी इस चिंता के पार्श्व में ढेरों कारण हैं .राम की गंगा की तरह भोले शंकर की नर्मदा भी मैली हो रही है .भक्तों की अगाध किंतु खतरों से अनभिज्ञ श्रध्दा माँ का गला घोंट रही है .नर्मदा नदी को जीवन दायिनी माना जाता है .किंतु यदि यही हाल रहा तो इसका प्रदूषण ना केवल भक्तों के लिए खतरनाक हो जाएगा बल्कि नदी को भी रोगग्रस्त कर देगा .पुराणों में कहा गया है की जो पुण्य गंगा में स्नान करने से मिलता है वह नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है ,फिर भी क्यों नहीं रोक पाते हम स्वयं को श्रध्दा का अतिरेक दिखाने से .दरअसल हम सब तमाशबीन बन गए हैं .कुछ मदारी और कई जमूरे मिलकर धर्म -धर्म खेल रहे हैं और मेरे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी ब्लॉग पर अपनी भड़ास निकालकर ख़ुद को चिन्तक सिद्ध करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं .मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के थिंक टेंक का तमगा लगाकर घूम रहे अनिल माधव दवे जैसे नेता भी ,जो नर्मदा प्रदूषण मुक्ति का झंडा लेकर घूम रहे हैं,खामोश हैं, शायद हिंदू वोट बैंक के क्षरण के डर से.नर्मदा अभी हमें करोड़ों वर्षों तक विहीन होने से रोक सकती है बशर्ते हम अपनी शर्म का पानी बचाए रखें.कुतांत दूत -कालभूत-भीती हारी वर्मदे,त्वदीय पाद पंकजम-नमामि देवी नर्मदे.

6 comments:

  1. Aap ko budhijeewi kaun pagal kehla hai. Budhi jaisi koi baat nehin lagi. Lagta hai kamredo nein budhi bharashat kar di hai.

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  2. पंकज साहब
    आपकी बात तर्कसंगत और दमदार है.
    सच्चाई कुछ लोगों को ज्यादा ही कड़वी लगाती है

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  3. बढिया चिचार प्रेषित किए हैं।आप की बात सही है।

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  4. .दरअसल हम सब तमाशबीन बन गए हैं .कुछ मदारी और कई जमूरे मिलकर धर्म -धर्म खेल रहे हैं और मेरे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी ब्लॉग पर अपनी भड़ास निकालकर ख़ुद को चिन्तक सिद्ध करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं .
    kuchh-kuchh mere manki baat kahi.
    Par vyavhaar meN..
    bahut kathin hai dagar panghat ki..

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  5. पंकज जी,
    आपकी चिन्ता सही है। आज सारी की सारी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। प्रदूषणमुक्त करने के लिए कार्य भी हो रहे हैं। परन्तु क्या यह पर्याप्त है? यह विचारणीय प्रश्न आज यक्ष-प्रश्न हो गया है। इस पर चर्चा होनी आवश्यक है। क्या यह कार्य केवल सरकार है? चर्चा जारी रखें।

    श्याम बाबू शर्मा
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    E mail- shyam_gkp@rediffmail.com

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  6. बहुत सुंदर चिट्ठा। ...और सुंदर लेखन। चिट्ठों के इस सागर में गोते लगाने के लिए आपका स्वागत है। आप अच्छा लिखें और आपके शब्द ऐसे ही हमारे दिल को छूते रहें। हमारी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं।

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