"आओ, तमाम दुनिया के
साफ़ दिल और दिमाग वाले लोगों,
प्यार की करोड़ मेगाटन ताकत से
घोषणा करो-
कि चमड़ी के रंगों
और पूजा के ढंगों से
इंसान बँट नहीं सकता।"
आइये हम सब मिलकर इन शब्दों के शिल्पी राजेंद्र अनुरागी को अपनी श्रद्धांजली दें.मुझे आज ही ख़बर मिली कि अब वे नहीं रहे.पर क्या वास्तव में ऐसे लोग हमारे बीच में से जा सकते हैं?शब्दों की अमरता उन्हें हमेशा हमारे बीच जीवित रखेगी.आख़िर इन्हीं राजेन्द्रजी ने तो वे कालजयी पंक्तियाँ लिखी थीं-
"आज अपना देश सारा लाम पर है,
जो जहाँ भी है ,वतन के काम पर है...."
Thursday, February 5, 2009
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Sabdon k shilpi Rajendra Anuragi ji ko sradha suman.....!
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