Sunday, February 15, 2009

एक माँ ऐसी भी...

आज एक खबर एडिट करते करते मन न जाने कैसा हो गया। वैसे तो यह खबर ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप मैं मेरे सामने तीन दिन पहले आई थी। मगर डेवलप आज हुई. पढ़ते ही दिल दिमाग दोनों ही झनझना उठे.
क्या एक माँ भी ऐसी हो सकती है ?
हुआ यह कि तीन दिन पहले होशंगाबाद (पिपरिया ) के पास एक नवजात बच्ची को साठ फीट नीचे गहरी खाई मैं फैंक देने कि घटना हुई थी. तब भी खबर देखकर मन विचलित हो गया था. सांत्वना तब मिली जब पता चला कि चोबीस घंटे से ज्यादा खाई माँ पड़ी रहने के बावजूद भी वह नन्ही सी जान जीवित है और उसका इलाज चल रहा है . आज खबर यह यह मिली कि नवजात को खाई मैं फेंकने वाली माँ मेरे ही शहर जबलपुर की है. स्वाभाविक है कि रिपोर्टर प्रेमशंकर तिवारी ने खबर को डेवलप करने मैं मेहनत की. पता चला कि निर्दयी माँ ने बच्ची को मृत समझकर खाई में फैंक दिया था. माँ ने यह बयान थाने मैं दिया है. उसने यह भी बताया है कि वह एक शासकीय विद्यालय मैं शिक्षिका है और अपने स्कूल के बच्चो को लेकर जबलपुर (पाटन) से २६० किलोमीटर दूर पिपरिया पिकनिक पर गई थी. जीप मैं यात्रा करते वक्त है प्रसव पीडा हुई और बच्ची का जन्म हो गया, बच्ची चूँकि रोई नहीं इसलिए दुनिया देखने से पहले ही उसे दुनिया से विदा करने खाई मैं धकेल दिया।
क्या यह विश्वास करने लायक बयान है ?
क्या कोई महिला गर्भ के अन्तिम समय मैं पिकनिक पर २६० किलो मीटर दूर जायेगी ?
क्या प्रसव क्रिया से जुड़े कार्य महिला ने बिना किसी दाई नर्स की मदद के अकेले ही कर लिए ?
प्रश्न ढेरो हैं जिनका जवाब निर्दयी मन थाने मैं भी नही दे पाई । मगर एक बात तय है मेरे ख्याल से की यह मामला बालिका हत्या का है । एक निष्ठुर माँ ने पुरे ठंडे दिल से हत्यारी बन जाना स्वीकार कर लिया। यह बात अलग है की " जाको रखे साईंया मार सके न कोए की तर्ज पर शिशु का बाल भी बांका नही हुआ । माँ भी अब अपनी नवजात बाटी को पालने अपनाने तैयार है । अभी पुलिस की विवेचना चल रही है। कहानी मैं अभी और भी जाने कितने ट्विस्ट आयेंगे । पर क्या उस निष्ठुर माँ को अभी भी नारी और वह भी शिक्षिका कहलाने को अधिकार है? अस्पताल मैं इलाजरत नवजात बच्ची के रूप मैं भले ही जीवन मुस्कुरा रहा हो पर क्या मानवता नही रो रही होगी ...
और
मेरी- आप सबकी माँ
" ऐ अंधेरे देख ले , मुंह तेरा कला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी , घर me ujala ho gaya . (मुन्नवर राणा)
"क्या seerat क्या सूरत है , माँ ममता की मूरत है ,
पाँव छुए और काम हुए ,अम्मा एक मुहुरत है । (मंगल नसीन)

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