Friday, October 14, 2016

जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध

जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध



खबर है कि मेरे हमपेशा खबरची रवीश कुमार को ट्विटर के बाद अब अपना फ़ेसबुक अकॉउन्ट भी बंद कर देना पड़ा है.... एक ख़ास विचारधारा से जुड़े भक्तों को उनकी साफगोई पसंद नहीं आ रही है.... उन्हें और उनके परिवारवालों को रोज जान से मार देने सहित कई तरह की धमकियाँ मिल रही हैं... ट्विटर या फ़ेसबुक अकाउन्ट बंद कर देने का आशय यह नहीं है की रवीश  डर गए... वे तो बस फ़ालतू की बकवास पढ़कर अपना वक़्त जाया करने से बचना चाहते हैं....तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन के साथ भी ऐसा ही हुआ था... इसी विचारधारा के परमभक्तों ने उनकी भी कलम पकड़ने की कोशिश की थी... उनके साथ मारपीट भी की गई थी... तब उन्होंने कहा था की एक लेखक के रूप में मैं अब मर गया हूँ... वास्तव में उन्होंने उस घटना के बाद अपनी कलम को विराम दे दे दिया.... उसके भी पहले तस्लीमा नसरीन के साथ भी  ऐसा ही हुआ था...आपको शायद सलमान रुश्दी भी याद हों... उन्हें तो देश ही छोड़ देना पड़ा था... ये उदाहरण  हो सकता है एक नज़र में उतने गंभीर ना लग रहे हों मगर कलम को पकड़ने की इस असहिस्णुता के परिणाम मेरी दृष्टि में बेहद खौफनाक होंगे... 21 वीं सदी में जब हम  अंतरिक्ष को जीतने की सोच रहे हैं तब ऐसी मध्ययुगीन कबीलाई मानसिकता देश ,समाज और पीढ़ियों का कितना नुकसान करेगी इसकी कल्पना ही शरीर में सिहरन पैदा कर देती है... दी होगी संविधान ने इस देश के हर नागरिक को अभिव्यक्ति  की मुखरता पर ये जुनूनी और उन्मादी किसी कानून को नहीं मानते...राष्ट्रद्रोह  और राष्ट्रवाद की नई -नई परिभाषाएँ गढ़ रहे हैं ये भक्त.... जाने किस दिशा में जा रहा है मेरा भारत महान.... उन्मादियों की मुखरता के बीच समाज के ताने-बाने को एक ख़ामोशी भी तोड़ रही है..... हैरान कर देने वाली यह ख़ामोशी है उस पढ़े-लिखे मध्यम  वर्ग की जिसे इन हालातों में  मुखर  होना था क्योंकि वह शिक्षित है,, शिक्षित होने के नाते समझदार है और समझदार होने के बूते जिम्मेदार है.... मगर उसकी यह शिक्षा,,यह समझ और यह जिम्मेदारी सिर्फ नए वेतनमान,, एरियर्स,, बोनस और एक सुकून भरी ज़िन्दगी तक ही सिमट कर रह गई है...किन्तु यह सुकून भी कब तक... क्योंकि उस उन्माद और इस सुकून के बीच एक बेहद क्षीण सी लकीर है जो कभी भी टूटकर ठहरे  जल में भूचाल ला सकती है.... बेहद खतरनाक है यह तटस्थता.... उन जुनूनियों की मुखरता से शायद ज्यादा जहरीली साबित हो सकती है यह ख़ामोशी..... क्योंकि                                                                                            समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र 
                                             जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।।।।  

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